दोस्तों आप सभी का स्वागत है इस Bhutiya Kahani में जिसका नाम है Horror Game | हमारी यह कहानी कुछ बच्चों की है वो मस्ती मस्ती के एक दुसरे को Horror Game खलने की चुनोती देते है इस कहानी का अंत आपको चोंका देंगा to कहानी पूरी जरुर पढ़े | मैं उम्मीद करता हूँ की यह Bhutiya kahani The Horror Game जरुर पसंद आएँगी | ऐसी ही मजेदार Bhutiya Kahani रोजाना पढने के लिए आप हमे Instagram पर भी Follow कर सकते हैं |

Bhutiya kahani The Horror Game का आरम्भ :
यह कहानी है एक डरवाने और भूतिया गेम की। जिससे कि हम भूत प्रेतो एवम आत्माओ को बुला सकते। कहानी की शुरुआत होती है एक बोर्डिंग स्कूल मे पढ़ने वाले बच्चों से। वो बोर्डिंग स्कूल बहुत ही जाने मानी है। उस बोर्डिंग स्कूल मे बहुत ही खौफनाक घटनाए घटित हुई थीं। कभी बच्चों के साथ तो कभी टीचर के साथ हादसे हुआ करते थे।
सोनू नाम का लड़का उसी बोर्डिंग स्कूल मे 12 th क्लास मे पढ़ता था। एक दिन सोनू और उसके दोस्त(महेश, राजू, विराट)क्लास खत्म होने के बाद घर की ओर जा रहे थे। सभी उस बोर्डिंग स्कूल मे हो रहे है हादसो के बारे मे बात कर रहे थे।
उनमे से राजू बोलता हैं – ऐसा कुछ भी नही है हमारे स्कूल में। यह सारी अफवाहे है।
महेश(राजू की बातो से सहमत होकर) – हाँ मेरे दोस्त! तु सही बोल रहा है। भूत प्रेत कुछ नही होता है। मै इन चीजो पर यकीन नही करता।
विराट – यार! मै तो मानता हू इस दुनियाँ मे नेगेटिव शक्तियाँ होती है।
अपने तीनों दोस्तों की बाते सुनकर सोनू बोलता है – मै एक ऐसा गेम जानता हु जिससे कि हम भूतों प्रेतो से बात कर सकते है। उस गेम मे ‘डेविल डेविल कहकर दोहराना पड़ता है। तीनों दोस्त उसकी बाते सुनकर हँसने लगते हैं।
सोनू कहता है तुम तीनो रात को स्कूल आना। मै तुम्हे वो गेम बताऊगाँ।
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इतना कहकर वो वहाँ से अपने घर की ओर चल देता है।
रात के 10 बजे वो और उसके तीनों दोस्त स्कूल आते हैं। फिर अपनी क्लासरूम मे जाकर जमीन पर चटाई बिछाकर गोलाकार आकार बनाकर बैठे जाते है। सोनू बीच मे कुछ मोमबती जलाकर रख देता है। और एक कागज पर 2 जगह हाँ और ना लिखता लिख देता है। उस कागज के ऊपर एक निंबु रख देता है। उसमे दो सुई डाल देता है। पास मे एक काला रंग का पुतला रख देता है। फिर अपने दोस्तो को बोलता है आज हम सब यह गेम खेलेंगे।
फिर सोनू लाइट बन्द कर देता है। चारो अपना हाथ पकड़कर लेते है। फिर सोनू डेविल-डेविल कहकर दोहराता है। लेकिन कुछ नही हुआ। लेकिन सोनू ने दुबारा डेविल-डेविल दोहराया। तब भी कुछ नही हुआ। यह सब देखकर राजू बोलता है मैने बोला था भूत प्रेत नाम की कोई चीज नही होती है। यह गेम भी फालतू है। इतना कहकर राजू अपना हाथ छोड़कर उठ जाता है।
तभी अचानक से क्लासरूम की लाइट अपने आप ही बन्द और चालू होने लगी। राजू यह सब देखकर डर गया। सोनू राजू को वापस बैठने के लिए कहता है।

राजू डर के मारे वापस अपनी जगह पर बैठ जाता है। उसके पसीने छुट्ने लगते हैं। सोनू कापते हुए कहता है कि डेविल क्या आप हो? तभी वो निंबू अपनी जगह से हाँ पर आकर रुक जाता है। यह सब देखकर चारों आश्चर्यचकित हो जाते है। तभी सोनू वापस पूछता हैं ‘डेविल’हम आपसे कुछ सवाल पूछ सकते है?
निंबू हाँ से घूमकर दूसरे हाँ पर रुक जाता है। इस प्रकार से सभी लड़के अपने-अपने सवाल पूछते है।
डेविल लड़कों के हर सवालों का उत्तर ‘हां ‘और किसी का उत्तर ‘ना ‘मे देता है। इन सब का उत्तर निंबू घुमाकर देता था। फिर महेश की बारी आती है। महेश पूछता है ‘डेविल ‘क्या आप मुर्ख और बेवकूफ हो?
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निंबू अपनी जगह से नहीं हिलता। यही सवाल महेश दोबारा पूछता है। फिर भी निंबू अपनी जगह से नही हिलता। वो एक ही जगह पर रुका हुआ। इन सब को लगता है कि शायद डेविल चला गया हो। सोनू फिर इस गेम को बन्द कर देना चाहता था,और उठकर उस क्लासरूम की जला देता है।
तभी सोनू और उसके दोस्त देखते है कि महेश का पूरा शरीर नीला पड़ गया था और उसकी आँखे खौफनाक और डरावनी सी हो गयी थी। महेश अजीब सी आवाज मे चिल्ला रहा था। दीवार पर उल्टा लटक जाता था। अपना सिर जोर से दीवार पर पीट रहा था। जिससे उसके सिर से बहुत ज्यादा खून बहने लग गया। महेश अजीब प्रकार की हरकते करने लग गया। महेश अपना खुदका गला दबाने का प्रयास कर रहा था।
यह सब देखकर तीनो बहुत ज्यादा डर गए। मानो महेश के अंदर डेविल’आ गया हो। डर के मारे वहाँ से भागने चाहते थे। पर महेश के अंदर डेविल उन लोगो को जानें नही दे रहा था। क्लासरूम का गेट भी बन्द कर गया।
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तीनो की यह सब देखकर रूह काफ जाती है। तीनो एक साथ चिलाने लगते है बचाओ हमे! हमे यह मार डालेगा। बचाओ कोई। हमे जाने दो! प्लिज़ हमे छोड़ दो।
उनकी तीनों की आवाज सुनकर बाहर दो गार्ड अंदर जाते है। क्लासरूम का गेट खोलते है और क्लासरूम की लाइट जलाते है। गार्ड देखता है महेश खून से लथपथ जमीन पर गिरा हुआ था। तीनों बच्चो की हालत खराब हो रखी थी। महेश को जल्दी से एम्बुलेंस बुलाकर अस्पताल ले जाया गया।
महेश को 2 दिन के बाद होश आता है। तब उसको भी कुछ याद नहीं होता कि कल जो गेम वह खेल रहे थे उसमें उसके साथ क्या हुआ था। फिर पुलिस आकर उन तीनो दोस्तों से पूछती है यह सब कैसे हुआ? तीनो दोस्त वो पूरी घटना पुलिस को बताते है। पुलिस उस स्कूल की जाँच पड़ताल करती है पर न ही उन्हे वहाँ मोमबत्ति मिलती है न ही गेम। उसके बाद उस बोर्डिंग स्कूल को भी बन्द कर दिया।
Bhutiya kahani The Horror Game का समाप्त :
तो दोस्तों आपका हमारी यह Bhutiya kahani The Horror Game पढने के लिए धन्यवाद प्लीज एक कमेंट करके जरुर बताये की आपको यह कहानी कैसी लगी, आपको सिर्फ एक सेकंड लगेंग लेकिन इससे मेरा दिन बन जायेंगा तो एक कमेंट जरुर करें .
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आवश्यक बात :- Bhutiya kahani The Horror Game पूरी तरह काल्पनिक है यह कहानी किसी भी अन्धविश्वास को बड़ावा देने के लिए नही लिखी गयी है इन्हें सिर्फ मनोरंजन के उद्देश्य से लिखा गया है |