1 Bhutiya Train | Horror Train Story in Hindi

दोस्तों यह कहानी मेरी एक Bhutiya Train यात्रा की है जिसमे मुझे अहसास हुआ की भुत भी होते है कुछ लोग कहते हेना भुत वगेरा कुछ नही होता है यह सब मन का वेहम है लेकिन सच बात तो यह है की सच्चाई हर किसी के सामने नही आती. इस Bhutiya Train की घटना ने मुझे अंदर तक हिला दिया . आप भी इस कहानी को पढ़े और बताये की यह कहानी आपको कैसी लगी |

Bhutiya Train | Horror Train Story in Hindi
1 Bhutiya Train | Horror Train Story in Hindi

कहानी का आरम्भ:- Bhutiya Train | Horror Train Story in Hindi 

खड़ खड़–खड़ खड़..ट्रेन तेज गति से अपनी मंजिल की तरफ भागी चली जा रही थी। रात का समय था, तेज बारिश और बीच बीच मे बिजली की चमक train के डिब्बो की खिड़कियों पर पड़ रही थी । केबिन का माहोल एकदम एकांत और यह भयावह हो रखा था मौसम भी मुझ जैसे डरपोक आदमी को और डरा रहा था।

इतना काफी नही था की मेरे दिम्माग में कुछ Bhutiya Train की कहानिया घुमने लगी की कैसे कोई भुत मुझे इस डिब्बे में आकर मार सकता है Bhutiya Train का भुत के सोच के साथ अब में तो Horror Train Story के बारे में सोचने लगा. में कैसे अपने दिमाग को इन सब विचारों से बचाऊ ये समझ नही आ रहा था .

थोड़ी देर बाद गाड़ी के पहियों की रफ़्तार कम हुई और एक स्टेशन पर गाड़ी रुकी। बारिश इतनी ज्यादा थी कि मैं स्टेशन का नाम नहीं पढ़ पा रहा था। मैं अपने केबिन मे अकेला था और मेरे दिमाग में बस एक बात थी की कोई न कोई तो इस कबीर में में आकर बैठे .

जिससे वार्तालाप करते करते आगे का रास्ता आसानी से काटा जा सके और एक अंदरुनी भय जो मेरे अंदर जागृत हो चुका है उससे मुझे निजात मिल सके। तभी किसी ने केबिन का दरवाजा खटखटाया और एक शांत सा दिखने वाला व्यक्ति केबिन मे दाखिल हुआ।

अपना सामान आदि व्यवस्थित करने के बाद वो मेरी तरफ देख कर मुस्कराया और मेरी तरफ हाथ आगे बढ़कर उसने अपना परिचय दिया.. मैं मिस्टर घोष…। वो बोला -मैं कोलकाता जा रहा हूँ..पुनर्जन्म से सम्बंधित एक कार्यकर्म मे भाग लेने के लिए । 

मैंने उसे बताया कि मैं कानपुर मे व्याख्याता के पद पर हूँ और पटना जा रहा हूँ।

उसने कुछ खाने का सामान निकाला और मुझसे भी खाने हेतु आग्रह किया। किन्तु मैं बहुत ही शकीला आदमी हूँ.. ट्रेन मे किसी अजनबी के द्वारा दिए गए खाने को लेना मेरे लिए असंभव था । मैंने बहुत विनम्रता से उसके आग्रह को ठुकराया ।

वो भी कम उस्ताद नहीं था …कस कर हँसा और बोला- शक कर रहे हैं मेरे ऊपर, अभी तो कुछ नहीं देखिये आगे क्या क्या होता है। उसके यह शब्द सुन कर मुझे सांप सूंघ गया किन्तु मैंने किसी तरह अपनी घबराहट को छिपाया।

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कोई स्टेशन आने पर वो उतरता और ट्रेन चलने के बाद किसी दूसरे कम्पार्टमेंट से चढ़ कर फिर आ जाता। पूछने पर बोलता की बीच बीच मे रेलवे की नौकरी भी कर लेता हूँ । थोड़ी देर बाद मैं और वह विभिन्न विषयों पर चर्चा करने लगे।

उसने पुनर्जन्म से सम्बंधित बातें प्रारम्भ कीं और पुनर्जन्म को अन्धविश्वास बताया । थोड़ी देर बाद उसने मुझसे पूछा की क्या आप भूत-प्रेत पर विश्वास करते हैं?
मैंने कहा-बिल्कुल।वो जोर से हँसा और बोला यह सब बकवास है।मुझे भूतों पर विश्वास था किन्तु वो भूतों के अस्तित्व को नकारता रहा । रात अपने चरम पर पहुँच चुकी थी, बहुत सारी बातचीत होने के बाद में अपने डिब्बे में सोने की कोशिश करने लगा .

अचानक 

मुझे ऐसा अनुभव हुआ की कोई मेरे गले पर गर्म अंगार रख रहा है।

मैं हड़बड़ा कर उठा …कहीं कोई नहीं…मेरे अलावा उस कक्ष मे मेरा वही सह यात्री था जो सामने की बर्थ पर लेटा घोड़े बेंचकर सो रहा था। मैं फिर सोने का प्रयास करने लगा। अभी आँख लगी ही थी की मुझे अपने पेट पर बहुत तेज दबाव और हंसने की तेज आवाज सुनाई दी। मैं घबराकर उठा तो देखा की सहयात्री बर्थ पर नहीं था। लगभग एक दो मिनट बाद वो आया और बोला जनाब सोये नहीं…

मैंने अपनी घबराहट रोकते हुए उससे कहा अभी नींद नहीं आ रही और मैंने अपने बैग से एक मैग्जीन निकाली और पढ़ने का नाटक करने लगा। सहयात्री भी बर्थ पर लेट गया और कुछ देर मे उसके खर्राटे केबिन मे गूंजने लगे। मैं भी थोडा निश्चिन्त हुआ और बर्थ पर आँख बंद कर लेट गया। ट्रेन कभी धीमी होती कभी रफ़्तार पकड़ लेती लेकिन मेरे दिल ने अब तेज रफ़्तार ही पकड़ रखी थी…,

भय और घबराहट के कारण मुझे जोर की बाथरूम आने लगी.. और मैं खड़ा हुआ और टॉयलेट की तरफ जाने लगा, जैसे ही मैंने टॉयलेट का दरवाजा खोला वो सहयात्री मुझे अंदर दिखा और मैं चिल्लाते हुए अपनी बर्थ की तरफ भागा… ,

1 Bhutiya Train | Horror Train Story in Hindi
1 Bhutiya Train | Horror Train Story in Hindi

देखा तो वो सहयात्री इत्मिनान से अपनी बर्थ पर सो रहा है…मैंने घबराहट मे उसे जगाया…

वो बोला..अरे क्या हुआ ?

बोलते समय वो इतना मासूम दिख रहा था की में इसे बया नहीं कर सकता .

वो जैसे कुछ जानता ही ना हो….मैंने कहा- आप यहाँ भी और वहां टॉयलेट मे भी….वो अपनी चालाकी भरी हंसी में हसने लगा और बोला – मैं कितने रूप मे कहीं पर भी रह सकता हूँ।

घबराहट के मारे मेरा पूरा शरीर पानी पानी होने लगा जो अभी मेरे साथ हुआ है उसके कारण मेरा दिल train से भी तेज गति से धड़क करा है पसीने से तर बतर में एकदम निर्जीव प्राणी की तरह उसके सामने खड़ा रह गया ..फिर वो बोला- तुम्हें भूतों पर विश्वास था ना..

तुम्हे तुम्हारे विश्वास का प्रमाण देना था। तुम्हारे जैसे लोगों के कारण ही हम भूत-पिशाच लोगों का अस्तित्व है… तुम्हारा स्वागत है इस Bhutiya Train में  
इतना कहकर वो मेरी आँखों के सामने से अचानक गायब हो गया। मैं डर के मारे निशब्द निर्जीव प्राणी सा अपने डिब्बे में चुपचाप बेठ गया .

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तभी मेरे डिब्बे के अंदर टिकट निरीक्षक का आना हुआ मै एक कोने में अपने पेरों के बिच सिर छुपाये बेठा था तभी उसने मुझसे टिकेट दिखाने की मांग की, किसी की आवाज़ सुनकर मेरी जान में जान आई.

जैसे ही मैने सिर उपर करके टिकट निरीक्षक को देखा मानो में बाहोश होने वाला हूँ आज इसी डिब्केबे में मेरी आत्मा बाहर जाएँगी में किसी भी हाल में यहाँ से जीवित नही जा पाउँगा क्यूंकि यह वही व्यक्ति था जो पहले मेरा सहयात्री बना फिर मुझे डराकर एकदम गायब हो गया , आज मेरा दिल यही पर बंद होता पप्रतीत हो रहा है तभी टिकट निरीक्षक ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और टिकेट दिखाने के लिए बोला .

जैसे ही उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा में जोर से चिल्अंलाया और वही बेहोश हो गया , इसके बाद मेरी आखे सीधे अस्दपताल में खुली |

अपने आप पास असली जीवित इंसानों को देख मेरी जान में जान आई , में अपने जीवन के अंतिम समय तक यह घटना नही भूल पाउँगा .

कहानी का समापन :- Bhutiya Train | Horror Train Story in Hindi 

तो दोस्तों ये यह Bhutiya Train की कहानी आपको कैसी लगी हमें कमेंट करके जरुर बताये. कहानी पढने के लिए आपका धन्यवाद्|

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